राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS) का इतिहास एवं विकास History and development of National Service Scheme

राष्ट्रीय सेवा योजना का इतिहास एवं विकास  History and development of National Service Scheme

राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS) का इतिहास एवं विकास History and development of National Service Scheme देश के स्वतन्त्र होने के उपरान्त से ही किसी ऐसी योजना के लागू किये जाने की संभावनाओ पर विचार विर्मश प्रारम्भ हो गया था जिसके माध्यम से छात्र-छात्राओं में स्नेह, समर्पण, सहिष्णुता, सहयोग तथा सेवा जेसे भाव पैदा हो सके तथा वे अपने शिक्षण काल में ही भविष्य के योग्य नागरिक के रुप में प्रशिक्षण प्राप्त कर सके । 

04 नवम्बर, 1948 को डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की अध्यक्षता मे गठित प्रथम विश्वविद्यालिय शिक्षा आयोग ने विद्यार्थियों और शिक्षकों के मध्य निकटता बढाने तथा शिक्षण संस्थानों और समाज के बीच बेहतर सम्बन्ध स्थापित करने हेतू सन् 1950 मे अपना प्रतिवेदन देते हुए छात्रों के लिए स्वेच्छा से राष्ट्रसेवा की संस्तुति की । सन् 1950 मे केन्द्रीय सलाहकार शिक्षा परिषद की बैठक में विद्यार्थियों द्वारा स्वेच्छा से राष्ट्रसेवा पर आधारित योजना पर विचार विमर्श किया गया।

प्रथम पंचवर्षीय योजना (1951-56) की रुप रेखा में छात्रों के लिए एक वर्ष की सामाजिक सेवा और शारीरिक श्रम पर बल दिया गया। सन् 1958 मे तत्कालीन प्रधानमंत्री प. जवाहर लाल नेहरु द्वारा शिक्षण संस्थाओं में राष्ट्रीय सेवा प्रारम्भ करने के लिए योजना बनाने हेतु शिक्षा मंत्रालय को र्निदेश जारी करने के साथ-साथ मुख्यमंत्रियों से पत्र के माध्यम से अनुरोध किया गया।

सन् 1959 में देश के सभी मुख्यमन्त्रियों की बैठक में राष्ट्रीय सेवा योजना की रूपरेखा पर अनुमोदन प्राप्त करने के उपरान्त 25 अगस्त, 1959 को डा. सी. डी. देशमुख की अध्यक्षता में “राष्ट्रीय सेवा समिति" गठित की गयी। समिति द्वारा महाविद्यालय या विश्वविद्यालय की शिक्षा ग्रहण करने के इच्छुक विद्यार्थियों के लिए नौ माह से एक वर्ष तक के लिए राष्ट्रीय सेवा अनिवार्य करने की संस्तुति की गयी ।

सन् 1960 में प्रो. के. जी. सैयददीन द्वारा विश्व के अनेक देशों में छात्रों द्वारा की गयी राष्ट्रीय सेवा के अध्ययन के आधार पर स्वैच्छिक रुप से राष्ट्रीय सेवा प्रारम्भ करने की संस्तुति की गयी। उन्होंने अपनी रिपोर्ट भारत सरकार को सौपी। रिपोर्ट में छात्र छात्राओं के लिए समाज सेवा हेतु शिविर की अनुशंसा की गयी। 14 जुलाई, 1964 को गठित शिक्षा आयोग के अध्यक्ष डा. डी. एस. कोठारी द्वारा सभी शैक्षिक स्तरों के छात्रों को समाज सेवा के कार्य से सम्बद्ध किये जाने की संस्तुति की गयी। रा. से यो. को एन. सी. सी. तथा राष्ट्रीय क्रीडा संगठन के समतुल्य मान्यता प्रदान करने की स्वीकृति प्रदान की गयी। अप्रैल 1967 में राज्य सरकारों के शिक्षा मंत्रियों की बैठक में एन. सी. सी. के विकल्प के रुप में राष्ट्रीय सेवा प्रारम्भ करने की संस्तुति की गयी। सितम्बर 1967 में कुलपतिओं की बैठक में इस संस्तुति पर अनुमोदन प्रदान किया गया। एन.सी.सी. की स्थापना सन् 1948 में 1.67 लाख कैडेटों के साथ की गयी। जिनकी संख्या वर्तमान में 13 लाख के लगभग है।

मई 1969 में विश्वविद्यालय और उच्च शिक्षण संस्थानों के विद्यार्थियों के प्रतिनिधियों का बैठक में रा.से.सो. में प्रारभ्भ करने का स्वागत किया गया। चतुर्थ पंचवर्षीय योजना (1969-74) में रा. से. यो. के लिए 5 करोड रुपये के परिव्यय की स्वीकृति प्रदान का गयी। अन्ततः 22 वर्षों की विकास यात्रा में चिन्तन, मनन, प्रयोग, परीक्षण, शोध एंव संशोधनों के उपरान्त कई चरणों को पार करते हुए 24 सितम्बर, 1969 को तत्कालीन केन्द्रीय शिक्षा मंत्री डा. वी.के.आर.वी. राव की घोषणा द्वारा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जन्म शताब्दी वर्ष में उनके विचारो और सिद्वान्तों को मूर्त रुप देते हुए 37 विश्वविद्यालयों में 40,000 छात्र-छात्राओं के साथ रा. से यो. प्रारम्भ की गई। कार्यक्रमों के संचालनों हेतु 120 रुपये प्रतिवर्ष वित्तीय व्यवस्था की गई जिसमें केन्द्र सरकार और प्रदेश सरकार की हिस्सेदारी 7:5 के अनुपात में रखी गई। हिमालयी राज्यों में वित्तीय अंशदान 3:1 के अनुपात में है वित्तीय वर्ष 2016-17 से रा.से. यो को पूर्णत: केन्द्र सरकार द्वारा वित्तपोषित कर दिया गया है। सन् 1973 में विषय आधारित (थीम बेस्ड) विशेष शिविरों का आयोजन प्रारम्भ किया गया।

सन् 1978 में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा अध्ययन व शोध के पश्चात् रा.से.यो को शिक्षा के तृतीय आयाम के रुप मान्यता प्रदान की गयी तथा विश्वविद्यालयों से रा.से.यो. को पाठ्यक्रम का अंग बनाने की सिफारिश की गयी। सन् 1984 में भारत सरकार द्वारा रा.से.यो का पुनरीक्षण किया गया। उ. प्र. तथा उत्तराखण्ड में माध्यमिक स्तर (+2 level) एवं प्राविधिक शिक्षा (पॉलीटेक्निक) में वर्ष 2000 से राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS) प्रारम्भ हुई। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (1986) (संशोधित 1992) में रा.से.यो. को पुष्ट करने का संकल्प लिया गया।

भारत सरकार द्वारा 30 मार्च 1987 को रो.से.यो. केन्द्र के लिए स्थायी योजना घोषित किया गया तथा राष्ट्रीय सेवा योजना संहिता प्रकाशित की गयी । वर्ष 1991-92 में रो.से.यो. और राष्ट्रीय नियंत्रण संगठन के संयुक्त तत्वावधान में एच. आई. वी. एड्स की रोकथाम एवं जनजागरुकता के लिए "UNIVERCITY TALK AIDS" के नाम से एक नवाचारी कार्यक्रम प्रारम्भ किया गया। जिसे राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर एक नई पहचान और प्रशंसा प्राप्त हुई।

सन् 1994 में रा.से.यो के रजत जयन्ती वर्ष में रा.से.यो. लक्ष्य गीत की शुरुआत के साथ सम्पूर्ण राष्ट्र में व्यापक स्तर पर कार्यक्रम आयोजित किये गये तथा प्रत्येक वर्ष 24 सितम्बर को रा.से.यो.स्थापना दिवस मनाने का निर्णय लिया गया। उत्कृष्ट कार्यों को मान्यता प्रदान करने की दृष्टि से इन्दिरा गांधी रा.से.यो. राष्ट्रीय पुरस्कार प्रारम्भ किये गये। सन् 1997 में 'भारत सरकार द्वारा रा.से.यो. की संशोधित संहिता प्रकाशित की गयी।

सन 2000 में रा.से.यो. के लिए नीति-निर्धारण, नियोजन व मूल्यांकन के लिए भारत सरकार द्वारा पृथक से युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय की स्थापना की गयी। योजना के सामान्य पर्यवेक्षण, समन्वयन, रिर्पोटिंग के लिये भारत सरकार द्वारा देश में कुल 15 क्षेत्रीय केन्द्र स्थापित किये गये है। उत्तराखण्ड में वर्ष 2004 से उत्कृष्ट कार्यों हेतु सभी श्रेणियों में 'स्वामी विवेकानन्द राज्य स्तरीय रा.से.यो. पुरस्कार प्रारम्भ किये गये। रा.से.यो. निर्देशिका का प्रकाशन किया गया। उत्तराखण्ड में एन.सी.सी. के समकक्ष एन.एस.एस. में 2004-05 से 'बी' एवं 'सी' प्रमाण-पत्र परीक्षा का आयोजन किया गया। वर्ष 2005 में रा.से.यो. संदर्शिका का प्रकाशन किया गया।

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