राष्ट्रीय सेवा योजना का परिचय- NSS (Introduction to National Service Scheme)
राष्ट्रीय सेवा योजना का परिचय - NSS (Introduction to National Service Scheme) - राष्ट्रीय सेवा योजना एक राष्ट्रीय कार्यक्रम है, जिसे युवा कार्यक्रम एंव खेल मंत्रालय भारत सरकार द्वारा आयोजित किया जाता है। राष्ट्रीय सेवा योजना - NSS का मुख्य लक्ष्य विद्यार्थियों के बहुआयामी व्यक्तित्व का विकास करना है; जिसमें राष्टप्रेम, परिश्रम का महत्व, समाजसेवा एवं भारतीय संस्कृति के नैतिक मूल्यो की आत्मसात् करना है।
राष्ट्रीय सेवा योजना का परिचय - NSS (Introduction to National Service Scheme) की स्थापना - 24 सितम्बर, 1969 और उत्तराखण्ड में माध्यमिक स्तर पर NSS की शुरूआत सन 2000 ई० हुई ।
रा० से० यो० और NSS का पूरा नाम क्या है ?
राष्ट्रीय सेवा योजना एक स्वेच्छा से सामाजिक सेवा के सिद्धान्त पर आधारित है। जो युवा छात्र-छात्राओ को शिक्षार्जन के साथ-साथ समाज और राष्ट्र निर्माण के विभिन्न रचनात्मक कार्यों से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका के साथ ही शहरी परिवेश के विद्यार्थीयो को ग्रामीण जनजीवन तथा खेल खलिहानों से आत्मीयता स्थापित करने के अवसर सुलभ कराता है। सामाजिक चेतना अनुशासन व दायित्व बोध के विकास के साथ ही श्रम के प्रति आदर भाव पैदा करता है।
राष्ट्रीय सेवा योजना केन्द्रीय पुरोनिधारित योजना है जिसमे नीति निर्धारण नियोजन व मूल्यांकन का कार्य भारत सरकार के युवा कार्यक्रम एंव खेल मंत्रालय द्वारा किया जाता है। इस योजना के द्वारा युवा वर्ग को जीवन में कष्टो व दुखों का सामना करने सहनशीलता विकसित करने तथा एक दूसरे का सहयोगी बनने व सामाजिक बुराईयों को समाप्त करने के साथ-साथ राष्ट्र निमाण में सक्रिय सहभागी बनने के लिए तैयार किया जाता है।
राष्ट्रीय सेवा योजना समाज को जानने और समझने का एक सशक्त माध्यम है। 'सेवा अस्माकं धर्मः' के मूल मन्त्र को आत्मसात करने वाली इस योजना के अन्तर्गत सम्पादित की जाने वाली प्रत्येक गतिविधि में निस्वार्थ सेवाभाव और राष्ट्र प्रेम के साक्षात दर्शन होते है। राष्ट्र की युवा शक्ति को निखार सवार कर उन्हे श्रेष्तम नागरिक समर्पित स्वंयसेवक और सच्चा राष्ट्रभक्त बनाने के उद्देश्य से 24 सितम्बर, 1969 को राष्ट्रीय सेवा योजना की स्थापना की गयी ।
राष्ट्रीय सेवा योजना का दर्शन
• शिक्षा का अर्थ मैं बालक अथवा मनुष्य में आत्मा, शरीर और बुद्धि के सर्वागीण और अच्छे विकास से समझता हूं। कक्षा की चारदीवारी के अन्दर का पाठयक्रम छात्रों का बौद्धिक विकास तो कर सकता है, परन्तु सर्वागीण विकास के लिए पूर्ण नही है। समाज के बीच में जाकर अपने आप को पहचानकर अपने कर्तव्य का निवहन करना ही शिक्षा का प्रथम उद्देश्य है।
महात्मा गांधी
शैक्षणिक संस्थानो में छात्र राष्ट्रीय सेवा को स्वैच्छिक रूप से शुरु करें ताकि एक ओर तो छात्रों और अध्यापकों के बीच स्वस्थ सम्बन्ध स्थापित हो सके तथा दूसरी ओर शैक्षणिक परिसर और समाज परस्पर रचनात्मक रूप से जुड सके।
डा. सर्वपल्ली राधाकष्णन शिक्षण
सस्थाएं ऐसे विद्यार्थीयों का सृजन करे जो न केवल ज्ञानवान व बुद्धिमान हो वरन् स्वस्थ सुयोग्य सुशिक्षित संस्कारवान व चरितवान भी हो। सशक्त व समृद्ध राष्ट्र के लिए इसी प्रकार की युवा पीढ़ी की आवश्यकता है।
स्वामी विवेकान्द
शिक्षा एक सतत् कार्यक्रम है जो विद्यालय शिक्षण तक सीमीत नही होना चाहिए बल्कि इसका विस्तार विद्यालय के बाहर भी होना चाहिए। इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु यह आवश्यक है कि विद्यालय के अन्दर और बाहर के वातावरण में घनिष्ठता हो ।
पं. जवाहर लाल नेहरु
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भारतवर्ष के इतिहास तथा इसकी समस्याओ के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन करने के उपरान्त महसूस किया कि देश का शिक्षित युवा वर्ग यदि अपनी शिक्षा प्राप्त करने की प्रकिया के साथ-साथ समाज सेवा का कार्य भी करे तो देशवासी एक दूसरे की समस्याओं व आवश्यकताओं से अवगत होते हुए एक अटूट सम्बध मे बध जायेंगें ।
राष्ट्रीय सेवा योजना का परिचय - NSS |