भास्वती - कक्षा - 12 तृतीय: पाठ: - प्रजानुरञ्जको नृप: Bhaswati - Class - 12 Lesson no. 3 Prajanuranjak Nrip Question Answer

भास्वती  - कक्षा - 12 तृतीय: पाठ: - प्रजानुरञ्जको नृप: अभ्यास प्रश्नोत्तर (Bhaswati Sanskrit Book Class - 12  Lesson No. 3 - King who takes care of the people (Prajapalak Raja) Question Answer's) 

भास्वती  - कक्षा - 12 तृतीय: पाठ: - प्रजानुरञ्जको नृप: अभ्यास प्रश्नोत्तर (Bhaswati Sanskrit Book Class - 12,  Lesson No. 3 - King who takes care of the people (Prajapalak Raja) Question Answer's) उत्तराखण्ड विद्यालय शिक्षा परिषद् की NCERT संस्कृत पुस्तक भास्वती कक्षा - 12 की पाठ्यपुस्तक के तृतीय पाठ के प्रश्नोत्तर इस प्रकार है - 

तृतीय: पाठ: - प्रजानुरञ्जको नृप: (प्रजापालक राजा)

भास्वती - कक्षा - 12 तृतीय: पाठ: - प्रजानुरञ्जको नृप: Bhaswati - Class - 12 Lesson no. 3 Prajanuranjak Nrip Question Answer
Bhaswati - Class - 12 Lesson no. 3 

पाठ्यपुस्तक के अभ्यास प्रश्नोत्तर

1.एकपदेन उत्तरत-

(क). केषाम् अन्वयः कालिदासेन विवक्षितः ?

उत्तरम् - रघूणाम् । 

(ख). रघुवंशिनः अन्ते केन तनुं त्यजन्ति ? 

उत्तरम् - योगेन ।

 (ग). महीक्षिताम् आद्यः कः आसीत् ? 

उत्तरम् - वैवस्वतः मनुः ।

(घ) कासां पितरः केवलं जन्महेतवः ?

उत्तरम् - प्रजानाम्।

(ङ) कः प्रियः अपि त्याज्यः ?

उत्तरम् - दुष्ट:। 

(च). दिलीपः प्रजानां भूत्यर्थं कम् अग्रहीत् ?

उत्तरम् - बलिम्।

(छ). राजेन्दुः दिलीपः रघूणामन्वये क्षीरनिधौ कः इव प्रसूतः ?

उत्तरम् - इन्दुः। 

2. पूर्णवाक्येन उत्तरत - 

(क). महाकविकालिदासेन वैवस्वतो मनुः महीक्षिताम् कीदृशः निगदित: ?

उत्तरम् -  महाकविकालिदासेन वैवस्वतो मनुः महीक्षिताम् आद्यः निगदितः। 

(ख). कालिदासः तनुवाग्विभवः सन् अपि तद्गुणैः कथं प्रचोदितः ?

उत्तरम् -  कालिदासः तनुवाग्विभवः सन् अपि तद्गुणैः कर्णम् आगत्य चापलाय प्रचोदित:। 

(ग). के तं (रघुवंशम्) श्रोतुमर्हन्ति ? 

उत्तरम् - सदसद्व्यक्तिहेतवः सन्तः तं श्रोतुमर्हन्ति। 

(घ). दिलीपस्य कार्याणाम् आरम्भः कीदृशः आसीत्? 

उत्तरम्  - दिलीपस्य कार्याणाम् आरम्भः आगमैः सदृशः आसीत्। 

(ङ). रविः रसं किमर्थम् आदत्ते ?

उत्तरम् -  रविः रसं सहस्रगुणमुत्स्रष्टुम् आदत्ते ।

3. रेखांकितानि पदानि आधृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत-

(क).  सः प्रजानामेव भूत्यर्थं बलिम् अग्रहीत्।

उत्तरम् - कः प्रजानामेव भूत्यर्थं बलिम् अग्रहीत् ? 

(ख).  प्रजानां विनयाधानात् सः पिता आसीत्।

उत्तरम् - कासां विनयाधानात् सः पिता आसीत् ?

(ग)मनीषिणां माननीयः मनुः आसीत् । 

उत्तरम् - केषां माननीयः मनुः आसीत् ? 

(घ). शुद्धिमति अन्वये दिलीपः प्रसूतः। 

उत्तरम् - शुद्धिमति कस्मिन् दिलीपः प्रसूतः ?

(ङ). पितर: जन्महेतवः आसन्। 

उत्तरम् - के जन्महेतवः आसन् ?

4. अधोलिखितानां भावार्थं हिन्दी/ आंग्ल / संस्कृत स्वभाषया लिखत- 

(क) प्रजानामेव भूत्यर्थ स ताभ्यो बलिमग्रहीत्। 

 उत्तरम् -     

            प्रजा का कल्याण करना राज्य का प्रथम कर्तव्य होता है। राजा अपने राजकोष से प्रजा के कल्याण हेतु धन की व्यवस्था करता है। राजकोष में धन जुटाने के लिए राजा लोग प्रजा पर कर लगाते हैं। कुछ राजाओं की नीति यह होती है कि प्रजाओं पर उतना ही कर लगाते हैं, जितने की प्रजा के कल्याण के लिए आवश्यकता होती है। कुछ राजा लोग राजकोष का उपयोग प्रजा के कल्याण के लिए न करके अपने सुख-साधनों के लिए अधिक करते हैं। ऐसे राजा बहुत लोकप्रिय नहीं होते। राजा दिलीप प्रकार के राजा थे, जो प्रजा के कल्याण के लिए ही उस पर कर लगाते थे और उन करों से संचित राजकोष का उपयोग अपने लिए न करके प्रजा के लिए ही करते थे।

English -

    The first duty of the state is to provide welfare to the people. The king arranges money from his treasury for the welfare of the people. To raise money for the treasury, kings impose taxes on their subjects. The policy of some kings is that they impose only as much tax on their subjects as is required for their welfare. Some kings use the treasury more for their own comforts rather than for the welfare of the people. Such kings are not very popular. Raja Dilip was a type of king who imposed taxes on the people only for their welfare and used the treasury collected from those taxes not for himself but for the people.

(ख) आगमैः सदृशारम्भः आरम्भसदृशोदयः ।

उत्तरम् - 

        राजा दिलीप परम ज्ञानी राजा थे। उन्होंने सभी शास्त्रों का विधिवत् अध्ययन किया अतः प्रत्येक कार्य का उन्हें विस्तृत सैद्धान्तिक, तकनीकी और व्यावहारिक ज्ञान था कि किस कार्य को कब आरम्भ करना चाहिए, उसको किस विधि से सम्पन्न करना चाहिए, जिससे उसका सर्वोत्तम परिणाम प्राप्त हो। राजा दिलीप प्रत्येक कार्य का आरम्भ अपने इसी शास्त्र ज्ञान के आधार पर करते थे। जब कार्य उपयुक्त समय पर उपयुक्त विधि से आरम्भ किए जाते थे तो उनके परिणाम भी सर्वोत्तम ही प्राप्त होते थे। इस प्रकार राजा दिलीप जिस कार्य को करते थे, उसमें उनको निश्चित रूप से सफलता ही प्राप्त होती थी। 

English -

King Dilip was a very knowledgeable king. He studied all the scriptures systematically, hence he had detailed theoretical, technical and practical knowledge of every work, when should it be started, and by what method should it be completed, so that it could get the best results. King Dilip used to start every work on the basis of his knowledge of this scripture. When work was started at the right time and with the right method, the best results were achieved. In this way, whatever work Raja Dilip used to do, he definitely got success in it.


(ग) स पिता पितरस्तासां केवलं जन्महेतवः ।

उत्तरम् - 

        पिता कहलाने का अधिकारी वही होता है, जो अपनी सन्तानों की शिक्षा, रक्षा और भरण-पोषण की सर्वोत्तम व्यवस्था करता है, उनके सुख-दुःख की बराबर चिन्ता करता है। केवल सन्तान को जन्म देने से ही कोई पिता कहलाने का अधिकारी नहीं हो जाता। राजा दिलीप अपनी प्रजाओं की शिक्षा, रक्षा और भरण पोषण की सर्वोत्तम व्यवस्था करते थे; अतः वे अपनी प्रजाओं के वास्तविक पिता थे। उनके अपने पिता तो केवल जन्म देने के कारण नाम के ही पिता थे। 

English -

    The one who has the right to be called a father is the one who makes the best arrangements for the education, protection and maintenance of his children and is equally concerned about their happiness and sorrow. One does not become entitled to be called a father merely by giving birth to a child. King Dilip made the best arrangements for the education, protection and maintenance of his subjects; Therefore, he was the real father of his subjects. His own father was his father in name only because he gave birth to him.

(घ) अनन्यशासनामुर्वी शशासैकपुरीमिव।

उत्तरम् - 

        अपने समय में राजा दिलीप सम्पूर्ण पृथ्वी के एकच्छत्र राजा थे। कोई अन्य राजा पृथ्वी का शासक न था। यदि कोई राजा था भी, तो वह राजा दिलीप के अधीन ही राज्य करता था। राजा दिलीप क्योंकि कुशल शासक थे; अतः उन्होंने सम्पूर्ण पृथ्वी के राज्य की ऐसी उत्तम व्यवस्था की थी कि उन्हें शासन में किसी प्रकार की कठिनाई न होती थी। वह सम्पूर्ण पृथ्वी का शासन इतनी सुगमता से करते थे, मानो वे पृथ्वी का नहीं, वरन् किसी नगरी का शासन कर रहे हो। 

English -

In his time, King Dilip was the only king of the entire earth. No other king was the ruler of the earth. Even if there was a king, he ruled under King Dilip only. King Dilip because he was a skilled ruler; Therefore, he had made such perfect arrangements for the kingdom of the entire earth that he did not face any kind of difficulty in governance. He used to rule the entire earth with such ease, as if he was not ruling the earth but a city.


5. अधोलिखितेषु विपरीतार्थमेलनं कुरुत-

    यौवने   

चपलताम्

    मौनम्

शासनम् न अकरोत्

    त्याज्य:

अक्षता

    शशास

ग्राह्यः

    क्षता

वार्द्धके

उत्तरम् -

    यौवने

वार्द्धके

    मौनम्

चपलताम्

    त्याज्य:

ग्राह्यः

    शशास

शासनम् न अकरोत्

    क्षता

अक्षता


6. अधोलिखितेषु प्रकृति-प्रत्यय विभागः क्रियताम्- 

आगत्य, उत्स्रष्टुम्, संमतः, त्याज्यः, शिष्ट

उत्तरम् -

    पदम्

प्रकृति-प्रत्यय

    आगत्य

आ + गम् + ल्यप्

    उत्स्त्रष्टुम्

उत् + सृज् + तुमुन्

    संमतः

सम् + /मन् + क्त

    त्याज्यः

त्यज् + यत्

    शिष्ट:

शास् + क्त


7. सन्धिं सन्धि-विच्छेदं वा कुरुत-

तनुवाग्विभवोऽपि, योगेनान्ते, ताभ्यः + बलिम्, शशासैकपुरीमिव ।

 उत्तरम् -

    पदम्

सन्धि–विच्छेदम् / सन्धिम्

    तनुवाग्विभवोऽपि

तनुवाक् + विभवः + अपि

    योगेनान्ते

योगेन + अन्ते

    ताभ्यः + बलिम् 

ताभ्यो बलिम् 

    शशासैकपुरीमिव

शशास + एकपुरीम् + इव


8. अधोलिखितस्य श्लोकद्वयस्य अन्वयं कुरुत-

प्रजानां विनयाधानाद्रक्षणाद्भरणादपि।

स पिता पितरस्तासां केवलं जन्महेतवः ॥

उत्तरम् - प्रजानां विनयाधानात् रक्षणात् भरणात् अपि सः पिता, तासां पितरः (तु) केवलं जन्महेतवः ।

स वेलावप्रवलयां परिखीकृतसागराम्।

अनन्यशासनामुर्वी शशासैकपुरीमिव।। 

उत्तरम् - सः वेलावप्रवलयां परिखीकृतसागराम् अनन्यशासनाम् उर्वीम् एकपुरीम् इव शशास ।

9. अधोलिखितेषु विशेषण - विशेष्ययोः मेलनं कुरुत-

  माननीयः

  अङ्गुली

    राजेन्दुः    

  आर्तस्य

    जन्महेतव:

  मनुः

    उरगक्षता

  दिलीप:

    तस्य

  पितरः



उत्तरम् -  

विशेषणम्

विशेष्यम्

माननीयः

अङ्गुली

राजेन्दुः

आर्तस्य

जन्महेतव:

मनुः

उरगक्षता

दिलीप:

तस्य

पितरः






एक टिप्पणी भेजें (0)
और नया पुराने