कक्षा - 12 संस्कृत भास्वती - पंचम: पाठ: - सूक्ति - सौरभम् Class -12 Sanskrit Bhaswati - Lesson No. - 5th Sukti – Saurabham
पंचम: पाठ: सूक्ति - सौरभम्
पाठ्यपुस्तक के अभ्यास प्रश्नोत्तर
1. एकपदेन उत्तरत—
(क) कः कण्टकजालम् पश्यति?
उत्तरम् - क्रमेलकः ।
(ख) शर्वरी केन भवति ?
उत्तरम् - चन्द्रेण ।
(ग) कः गुणं वेत्ति ?
उत्तरम् - गुणी ।
(घ) अजीर्णे किं भेषजम् अस्ति ?
उत्तरम् - वारि ।
(ङ) सर्वस्य लोचनं किम् अस्ति ?
उत्तरम् - शास्त्रम्।
(च) कः निरन्तरं प्रलपति ?
उत्तरम् - अल्पज्ञः ।
2. पूर्णवाक्येन उत्तरत-
(क) केषां समाजे अपण्डितानां मौनं विभूषणम् ?
उत्तरम् - सर्वविदां समाजे अपण्डितानां मौनं विभूषणम्।
(ख) के सर्वलोकस्य दासाः सन्ति ?
उत्तरम् - आशाया: दासाः सर्वलोकस्य दासाः सन्ति
(ग) केन कुलं विभाति ?
उत्तरम् - विद्यायुक्तेन साधुना सुपुत्रेण कुलं विभाति।
(घ) सिंहः केन विभाति ?
उत्तरम् - सिंहः बलेन विभाति।
(ङ) भोजनान्ते किं विषम् ?
उत्तरम् - भोजनान्ते वारि विषम् ।
3. रेखाङ्कितपदानि आधृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत-
(क) विधात्रा अज्ञतायाः छादनं विनिर्मितम्।
उत्तरम् - केन अज्ञतायाः छादनं विनिर्मितम् ?
(ख) विद्यावतां विद्या एव रूपम् अस्ति ।
उत्तरम् - केषां विद्या एव रूपम् अस्ति ?
(ग) लक्ष्मीः शूरं प्राप्नोति ।
उत्तरम् - का शूरं प्राप्नोति ?
(घ) बली बलं वेत्ति।
उत्तरम् - बली कि वेत्ति ?
(ङ) शास्त्रं परोक्षार्थस्य दर्शकम् अस्ति।
उत्तरम् - शास्त्रं कस्य दर्शकम् अस्ति ?
(च) कांस्यम् अतितरां निनादं करोति ।
उत्तरम् - किम् अतितरां निनदं करोति?
4. रिक्तस्थानानि पूरयत-
उत्तरम् -
(क). ये आशाया: दासाः ते सर्वलोकस्य दासाः (भवन्ति)। येषाम् आशा दासा (भवति) तेषां सर्व दासायते ।
(ख). एकेन अपि विद्यायुक्तेन साधुना सुपुत्रेण सर्वं कुलम् आह्लादितं यथा चन्द्रेण शर्वरी।
(ग). लक्ष्मी उत्साह - सम्पन्नम् अदीर्घसूत्रं क्रियाविधिज्ञं व्यसनेषु असक्तं शूरं कृतज्ञ दृढसौहृदं च निवासहेतोः स्वयं याति ।
5. प्रकृतिप्रत्ययविभागं कुरुत-
उत्तरम् -
|
|
शब्दः / धातुः |
प्रत्ययः |
विभक्तिः |
(क) |
कृतम् |
कृ धातुः |
क्त |
प्रथमा |
(ख) |
प्रविश्य |
प्र + विश् धातुः |
ल्यप् |
-- |
(ग) |
विमुच्य |
वि + मुच् धातुः |
ल्यप् |
-- |
(घ) |
भेत्तुम् |
भिद् धातुः |
तुमुन् |
-- |
(ङ) |
कर्तुम् |
कृ धातुः |
तुमुन् |
-- |
6. पर्यायवाचिभिः सह मेलनं कुरुत-
उत्तरम् -
(क) |
विमुच्य |
परित्यज्य |
(ख) |
क्रमेलकः |
उष्ट्रः |
(ग) |
याति |
गच्छति |
(घ) |
कुलालस्य |
कुम्भकारस्य |
(ङ) |
शर्वरी |
रात्रि: |
(च) |
वेत्ति |
जानाति |
(छ) |
करी |
गज: |
(ज) |
अजस्रम् |
निरन्तरम् |
(झ) |
प्रलपति |
कथयति |
(ञ) |
मुहूर्तमात्रम् |
क्षणमात्रम् |
7. विलोमपदैः सह योजयत-
उत्तरम् -
(क) |
अज्ञताया: |
विद्वत्ताया: |
(ख) |
अपण्डितानाम् |
पण्डितानाम् |
(ग) |
बुधाः |
मूर्खाः |
(घ) |
मानम् |
अपमानम् |
(ङ) |
खलानाम् |
सज्जनानाम् |
(च) |
याति |
आयाति |
(छ) |
कृतज्ञम् |
अकृतज्ञम् |
(ज) |
आशायाः |
निराशाया: |
(झ) |
आसक्तम् |
अनासक्तम् |
(ञ) |
कृतम् |
अकृतम् |
(ट) |
जीर्णे |
अजीर्णे |
8. विशेषणं विशेष्येण सह योजयत-
उत्तरम् -
(क) |
एकेन |
सुपुत्रेण |
(ख) |
अल्पज्ञः |
पुरुष: |
(ग) |
सर्वम् |
कुलम् |
(घ) |
एकम् |
लोकम् |
(ङ) |
सुमहान् |
यत्न: |
9. कः केन विभाति-
उत्तरम् -
(क) |
गुणी |
गुणेन |
(ख) |
शर्वरी |
चन्द्रेण |
(ग) |
विद्वान् |
विद्यया |
(घ) |
सिंह |
बलेन |
(ङ) |
कुलम् |
सुपुत्रेण |
10. अधोलिखितानि पदानि उचितरूपेण वाक्यानि रचयत-
विधात्रा |
सर्वविदाम् |
|
अस्ति |
लक्ष्मी: |
आशायाः |
भूषणम् |
विभाति |
मौनम् |
कण्टकजालम् |
एव |
सन्ति |
शर्वरी |
शूरम् |
सुपुत्रेण |
पश्यति |
गुणी |
|
तु |
शोभते |
लोकाः |
|
|
|
क्रमेलक |
|
|
विनिर्मितम् |
कुलम् |
छादनम् |
दासाः |
भाति |
|
|
गुणेन |
पश्यति |
उत्तरम् -
(क) विधात्रा छादनं विनिर्मितम्।
(ख) लक्ष्मीः शूरं पश्यति।
(ग) मौनम् सर्वविद भूषणम् अस्ति।
(घ) शर्वरी शोभते।
(ङ) गुणी तु गुणेन भाति।
(च) लोका: आशायाः दासाः सन्ति ।
(छ) क्रमेलकः कण्टकजालं पश्यति।
(ज) कुलम् सुपुत्रेण एव विभाति।
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